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G20 Summit: जी20 में शामिल नहीं होंगे पुतिन-जिनपिंग, जानिए क्यों भारत के लिए ये है फायदे का सौदा

G20 Summit: भारत में 9-10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. दिल्ली में हो रहे इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्षों समेत दुनिया के प्रमुख देशों के नेता भारत आ रहे हैं. हालांकि, जी20 के दो प्रमुख देश चीन और रूस के राष्ट्रपति सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने वाले हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों ही इस वैश्विक सम्मेलन से नदारद रहने वाले हैं.

राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर उन्हें जी20 में शामिल नहीं होने की जानकारी दे दी थी. उन्होंने बताया कि जी20 में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करने वाले हैं. दूसरी ओर, चीन ने कहा है कि जिनपिंग की जगह देश के प्रधानमंत्री ली क्यांग सम्मेलन में शामिल होंगे. भले ही पुतिन और जिनपिंग जी20 में शामिल नहीं हो रहे हैं, मगर फिर भी इसे भारत के लिए फायदे के सौदे के तौर पर देखा जा रहा है. आइए जानते हैं इसकी वजह क्या है.

जिनपिंग के जी20 में नहीं आने के क्या हैं मायने?

2013 में चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही जिनपिंग ने हर जी20 बैठक में हिस्सा लिया है. हालांकि, इस बार बैठक से नदारद होने की वजह अभी तक नहीं बताई गई है. जिनपिंग ऐसे समय पर भारत नहीं आ रहे हैं, जब चीन और भारत के बीच सीमा विवाद पर तनाव अभी भी बना हुआ है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी पूर्वी लद्दाख में डेपसांग और डेमचोक जैसे प्वाइंट पर पीछे हटने को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है.

चीन ने हाल ही में जारी किए गए नक्शे में अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को खुद का हिस्सा बताया. इसे लेकर भारत ने आपत्ति जताई है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में ‘यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस’ के साउथ एशिया मामलों के सीनियर एक्सपर्ट समीर लालवानी लिखते हैं कि जिनपिंग का जी20 में नहीं आना दोनों देशों के रिश्ते को सुधारने के कदम में एक बड़ा झटका है. वह कहते हैं कि जिनपिंग के नहीं आने से भारत को अपनी वैश्विक ताकत दिखाने का भी मौका मिलेगा.

जिनपिंग इस बात को भी जानते हैं कि अगर वह जी20 में शामिल होने भारत जाते हैं, तो उनकी ज्यादा आवभगत नहीं होगी. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू का कहना है कि जिनपिंग एक राजा की मानसिकता वाले व्यक्ति हैं, उन्हें लगता है कि लोगों को उनके यहां आना चाहिए. बीजिंग में एक राजदूत ने बताया कि जिनपिंग ऐसे किसी भी सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेना चाहते हैं, जहां भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत दिखाई दे.

ब्लूमबर्ग से बात करते हुए सिंगापुर में ‘ली कुआन य्वू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी’ के सीनियर फेलो और पूर्व पेंटागन अधिकारी ड्रिव थॉम्पसन ने कहा कि चीन ब्रिक्स या शंघाई सहयोग संगठन जैसे छोटे, कम विकसित देशों के समूह पर हावी होना चाहता है. चीन को ऐसे सम्मेलनों में एजेंडा सेट करने का मौका मिलता है. हालांकि, जी20 में चीन को ऐसा करने का मौका नहीं मिलता. शायद इस बात को जिनपिंग जानते थे, तभी उन्होंने भारत नहीं आने का फैसला किया.

पुतिन क्यों नहीं आ रहे भारत?

जी20 सम्मेलन से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दक्षिण अफ्रीका में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भी हिस्सा लेने नहीं गए थे. उन्होंने इस सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लिया था. ब्रिक्स देशों को संबोधित करते हुए उन्होंने वैश्विक बाजार में खाने और अन्य चीजों की बढ़ती कीमतों के पश्चिमी मुल्कों के प्रतिबंधों को जिम्मेदार बताया था. जब रूसी राष्ट्रपति ब्रिक्स देशों के सम्मलेन में शामिल नहीं हुए थे, तभी ये साफ हो गया था कि वह शायद भारत भी नहीं आएं.

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