राजस्थान चुनाव 2023

Rajasthan BJP Observer: क्यों बनाया गया राजनाथ को राजस्थान का पर्यवेक्षक, दो बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही सुलझा सकेंगे बीजेपी का सबसे बड़ा दर्द?

Jaipur: भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान (Rajasthan BJP Observer) का रण तो बहुमत के साथ जीत लिया है, लेकिन पार्टी में अब मुख्यमंत्री पद का खिताब किस नेता को दिया जाए इसपर रार हो रही है। ऐसे में बीजेपी ने पर्यवेक्षकों के जरिए इस जटिल मसले को सुलझाने का प्रयास किया है। बीजेपी राजस्थान की राजनीतिक स्थिति समझती है और आगामी लोकसभा चुनाव में इसका महत्व भी जानती है। ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर उलझे मसले को सुलझाने के लिए पार्टी ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर और अनुभवी नेता को ही पर्यवेक्षक बनाया है।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता है राजनाथ सिंह

दरअसल राजनाथ सिंह बीजेपी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं, जो जमीनी स्तर से उठकर, संगठन में होते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पद तक पहुंचे। वो दो बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। पहली बार 2005 से 2009 तक वो इस पद पर रहे। वहीं साल 2013 में जब नितिन गडकरी ने बीजेपी प्रमुख पद से इस्तीफा दिया तब भी पार्टी के बड़े ही कमजोर मोड़ पर उन्होंने अध्यक्ष पद की कमान संभाली और 2014 तक इस पद पर रहे। उन्ही के कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी चुनाव जीते और प्रधानमंत्री भी बने।

सिर्फ राजनाथ ही कर सकते हैं वसुंधरा का सामना

बीजेपी को हर संकट की घड़ी में जिस मजबूत चेहरे (Rajasthan BJP Observer) की जरूरत होती है, उनमें से एक राजनाथ सिंह भी हैं। अब राजस्थान में बीजेपी के सामने मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय है और साथ ही पार्टी में अंदरूनी कलह का संकट भी है, तो राजनाथ सिंह ही एक ऐसे संकटमोचक के रूप में बीजेपी को याद आए हैं, जो बीजेपी को इससे निकाल सकते हैं। दरअसल राजनाथ जब बीजेपी के पहली बार अध्यक्ष थे, तब राजस्थान में वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं। ऐसे में उनका वसुंधरा से पुराना तालमेल रहा है और वसुंधरा ही मुख्यमंत्री पद को लेकर मुख्य चुनौती भी खड़ी कर रही हैं।

वसुंधरा ने राजनाथ सिंह से की थी मुलाकात

वसुंधरा मजबूत क्षेत्रीय नेता हैं और 2014 से पहले वाली बीजेपी नेताओं में शामिल रही हैं। वहीं राजनाथ सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष पद लाल कृष्ण आडवाणी से लिया था और अमित शाह को सौंपा था। यानी वो बीजेपी के परिवर्तन युग की कड़ी रहे हैं। ऐसे में राजनाथ सिंह ही वो नेता हो सकते हैं जो वसुंधरा राजे का सम्मान के साथ सामना कर सकते हैं। 2020 में भी जब राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने की संभावनाएं बन रही थीं, तब भी वसुंधरा राजे सिंधिया ने राजनाथ से मुलाकात की थीं। यानी अगर वसुंधरा राजे को समझाने की बात आती है तो बीजेपी के पास राजनाथ से बेहतर विकल्प कोई और नहीं हो सकता।

संघ, संगठन और सरकार तीनों को समझते हैं राजनाथ

2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का बीजेपी में दखल बढ़ा और पार्टी लगभग नई सी हो गई। बीजेपी के पुराने चेहरों में राजनाथ सिंह प्रमुख हैं। फिलहाल राजनाथ केंद्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं और वो पार्टी के साथ शुरुआती दिनों से भी जुड़े हुए हैं और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में भी लंबे समय तक काम कर चुके हैं। यानी संघ, संगठन और सरकार तीनों में ही उनकी पकड़ और समझ मजबूत रही है। यानी राजस्थान में पार्टी जिस परिस्थिति से गुजर रही है, उसे अपने अनुभव से सुलझाने का काम राजनाथ ही कर सकते हैं।

राजनाथ के अलावा इन्हें नियुक्त किया गया पर्यवेक्षक

वसुंधरा के अलावा जिन सांसदों और मंत्रियों की तरफ (Rajasthan BJP Observer) से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की जा रही है, उन सभी से राजनाथ सीनियर हैं। अध्यक्ष, सांसद और संगठन स्तर पर उनका पाला राजनाथ से जरूर पड़ चुका है। ऐसे में उन सभी को समझाने और समझने में राजनाथ सिंह बेहतरीन विकल्प हैं। बीजेपी ने राजनाथ के अलावा राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को भी पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।

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