इंडिया

Electoral Bond Scheme: चुनावी बॉन्ड को लेकर केंद्र पर भड़की कांग्रेस- ‘SC का फैसला नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा’

New Delhi: चुनावी साल में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट (Electoral Bond Scheme) से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया है। अदालत ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को इसकी जानकारी देने का आदेश दिया है। वहीं, इस फैसले के बाद विरोधी दलों को केंद्र पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया है।

जयराम रमेश ने एक्स पर किया पोस्ट

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है। जयराम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। कांग्रेस नेता ने ये भी कहा कि अदालत का फैसला नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। मोदी सरकार चंदादाताओं को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर अत्याचार कर रही है।

‘ये लोकतंत्र के लिए आशा की बड़ी किरण है’

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि ये लोकतंत्र (Electoral Bond Scheme) के लिए आशा की बड़ी किरण है। ये स्कीम बीजेपी को मजबूत करने के लिए लाई गई थी। हर किसी को पता है कि बीजेपी सत्ता में है और चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा बीजेपी के पास ही आएगा। दिलचस्प बात है कि इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। ये बीजेपी और कॉर्पोरेट सेक्टर के बीच का बंधन था।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनावी बॉन्ड संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। अदालत ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयकर कानूनों सहित विभिन्न कानूनों में किए गए संशोधनों को भी अमान्य ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि एसबीआई बॉन्ड जारी करना बंद कर देगा। साथ ही एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का ब्योरा चुनाव आयोग को देना होगा

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