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Success story : राजस्थान की ये बेटी ने फैशन डिजायनर की नौकरी छोड़ शुरू किया ये बिजनेस, अब दूसरों को दे रही है रोजगार

Success story : अक्सर हम घर में पड़े बेकार और पुरानी चीजों जैसे गाड़ियों के खराब टायर, डिब्बे, कुर्सी-टेबल आदि को फेंक देते हैं या कबाड़ी को दे देते हैं।लेकिन गौतम भारती और अवनी जैन ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि वे कबाड़ से पैसे कमाने के तरीके को बखूबी जानते हैं।

Success story : जीवन व्यतीत करने के लिए लोग अपने जीवन में कई तरह के काम करते हैं. जब काम करने की बारी आती है तो कई लोग नौकरी करना पसंद करते हैं. तो वहीं कुछ लोग बिजनेस करना चाहते हैं. ऐसा माना जाता है कि, बिजनेस करने वाले लोगों को अपने ऊपर काफी भरोसा होता है. यही कारण है कि वह बिजनेस करना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने जीवन में रिस्क ना लेकर नौकरी करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने जीवन में नौकरी एवं बिजनेस दोनों किया. लेकिन उन्हें कामयाबी बिजनेस शुरू करने के बाद मिली.

यही कारण है कि बेकार और पुरानी चीजों को फेंकने के बजाय आज वे कमाई के साथ आदिवासी युवाओं को रोज़गार भी दे रहें हैं।इसके अलावा गौतम भारती और अवनी जैन ने ‘हुनर ट्राइबल‘ के नाम से कंपनी शुरू की है।

Success story : कबाड़ से जुगाड़ की कंपनी शुरू करने से पहले वो दिल्ली में क्रिवेटिव टीचर की नौकरी करते थे।वहीं अवनी डूंगरपुर के पड़ोसी ज़िले बाँसवाड़ा की रहने वाली हैं और पेश से फ़ैशन डिज़ायनर हैं।गौतम के क्रिवेटिव दिमाग़ और अनवी के फैशन डिजायन के सेंस ने से दोनों ने ट्राइबल इलाक़े में स्टार्टअप शुरू किया।उसको नाम दिया “हुनर ट्राइबल। इसके साथ ही दोनों आदिवासियो युवाओं को भी कबाड़ से जुगाड़ बनाने की ट्रेनिंग दी और उन्हें रोजगार से जोड़ा।

Success story : गौतम और अवनी द्वारा बनाएं गए फर्नीचर के लुक्स और डिजायन काफी अलग और आकर्षक हैं जो लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते थे।दोनों ने मिलकर 3 टन टायर, 3 हज़ार से अधिक बोतल और 15 हज़ार किलो लोहे को अभी तक कबाड़ से जुगाड़ बना दिया है।

Success story : ग़ोतम और अवनी स्कूल के खेल मैदान, सेल्फ़ी पॉइंट, फर्नीचर सहित कई प्रकार की कबाड़ से चीज़े बनाते हैं।उनका मक़सद था यहां के आदिवासी युवाओं ट्रेनिंग देकर रोजगार से जोड़ना वहीं, अवनी बताती है वे फैशन डिजायनर तो बन गई।लेकिन उन्हें कभी लैपटॉप पर काम करना पसंद नहीं आया। एक दिन एक वर्कशॉप के दौरान उनकी मुलाक़ात गौतम से हुई।फिर आगे चलकर दोनों ने साथ काम करने की सोची और शुरूआत कर दी।

आपको बताते चलें कि, इस बिजनेस का नाम हुनर ट्राइबल देने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि, वह अपने इस बिजनेस में कई ट्राइबल एरिया के लोगों को रोजगार दे रही हैं. यही नहीं बल्कि वह ट्राइबल एरिया के लोगों के हुनर का भी अच्छा उपयोग कर रहे हैं. यह बात हम सब जानते हैं कि ट्राईबल एरिया के लोग बेहद होनहार होते हैं. वह काफी क्रिएटिव दिमाग से काम करते हैं.

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