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जालोर में पति-पत्नी ने झगड़े के बाद पांच बच्चों सहित नहर में कूदकर की आत्महत्या ,जानिए पूरा मामला

जालोर : चितलवाना उपखण्ड के गलीफा निवासी शंकराराम अपने पूरे परिवार के नर्मदा नहर में छलांग लगा दी. 

जालोर : यह पूरा इलाका सदमे में है और इस बात पर आश्चर्य जता रहा है कि कोई कैसे इतना बड़ा कदम उठा सकता है। परिवार की सामूहिक आत्महत्या के बाद गुरुवार दोपहर सभी मृतकों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। प्रदेश में यह संभवत: अब तक पहला मामला है जिसमें एक ही परिवार के सात लोगों ने आत्महत्या की।

जालोर : सांचौर के सिद्धेश्वर की सरहद में बुधवार दोपहर ढाई बजे पति-पत्नी ने अपने 5 बच्चों के साथ नर्मदा नहर में छलांग लगा दी. सभी के शव निकाल लिए गए हैं. छह लोगों के हाथ एक-दूसरे ओढ़नी से बंधे हुए थे. इनके शव शाम करीब साढ़े छह बजे मिले. जबकि 9 साल के एक बच्चे का शव अलग से शाम करीब 4 बजे मिला.

जालोर : चितलवाना उपखण्ड के गलीफा निवासी शंकराराम, उनकी पत्नी बादली देवी, पुत्री रमिला, केगी व जानकी, पुत्र प्रकाश व हितेश सभी के शव नहर में मिले है सभी की मौत हो गई है शवो को सांचोर मोर्चरी में रखवाया गया है. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द किया जाएगा.

जालोर : सामने आया है कि यह पूरा मामला अवैध संबंधों का था। जिसके कारण शंकराराम और उसकी पत्नी बादली देवी के बीच कई दिनों से विवाद और तनाव चल रहा था। एक बार तो इनमें समझाइश कर दी गई, लेकिन मामला थमा नहीं। कुछ दिन पहले ही रिश्तेदारों ने पत्नी के कथित प्रेमी से समझाइश की, लेकिन यह समझाइश ही शंकराराम की जिंदगी पर भारी पड़ गई। समझाइश के अगले ही दिन प्रेमी ने उसे फोन पर धमकाया कि पंचायती कर क्या कर लिया। बस, यहीं से शंकराराम खुद को खत्म कर लेना चाहता था। पति पत्नी के बीच शक और झगड़ा इस कदर बढ़ चुका था कि घर में आए दिन मरने मारने की बातें होती थी। शुरूआत में तो शंकराराम अकेले ही खुद को खत्म करने की बात कहता, लेकिन सोमवार को जब वह घर से निकला तो पत्नी ने भी साथ मरने की बात कही और फिर बच्चों को भी साथ ले लिया।

जालोर : एक बड़ा सवाल है कि पूरे परिवार ने आत्महत्या क्यों की, अब तक की पड़ताल में इसका काेई ठोस कारण सामने नहीं आया है, लेकिन बताया जा रहा है कि शनिवार को जब इन लोगों की पंचायती हुई तो उसमें शंकराराम ने आत्महत्या करने की बात कही थी। जिस पर वहां मौजूद उसकी पत्नी बादली ने भी कहा कि यदि उसने आत्महत्या की तो वह भी बच्चों के साथ मर जाएगी। पंचायत में शामिल लोगों ने किसी तरह से उन्हें समझा कर शांत किया। मंगलवार को जब शंकराराम घर से निकला तो बादली भी बच्चों को लेकर उसके साथ निकल गई। ये लोग बस से 25 किमी दूर सिद्धेश्वर पहुंचे। वहां के लोगों की माने तो इस दौरान ये लोग एकदम सामान्य नजर आ रहे थे। शंकराराम ने बच्चों के लिए आइसक्रिम, मूंगफली, बिस्किट और पानी की बोतल खरीदी। शंकराराम को छोड़कर बाकी सभी ने आइसक्रिम खाई। इसके बाद ये करीब आधा किमी पैदल चलकर नहर पर पहुंचे। नहर की तरह कई लोगों के खेत हैं, जहां अक्सर लोग आते रहते हैं, इसलिए किसी ने गौर नहीं किया। यहां सवाल यह भी उठता है कि नहर के किनारे किसने कैसे सभी को बांधा। क्या, इस दौरान बच्चों ने चीखने या चिल्लाने की कोशिश नहीं की। आत्महत्या से पहले बच्चों को बांधने पर यदि वे रोए भी होंगे तो सूनसान जगह होने से किसी तक आवाज पहुंची ही नहीं होगी।

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