राजस्थान चुनाव 2023

CM Ashok Gehlot के करीबी भंडारी ने नाराज होकर ठुकराया पद, सीएम को लिखा लेटर

Jaipur: सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के नजदीकी कांग्रेस नेता और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया के फाउंडर चेयरमैन रहे सुपारस भंडारी ने बीस सूत्री कार्यक्रम समिति में जिला मेंबर बनाने पर नाराजगी जताई है। सुपारस भंडारी ने बीसूका जिला मेंबर जैसी राजनी​तिक नियुक्ति देने को खुद की तौहीन बताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तल्ख लहजे में चिट्ठी लिखी है। सुपारस भंडारी ने उस तल्ख चिट्ठी को सोशल मीडिया पर भी डाला है। वे 2013 में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कभी आपसे पद मांगा नहीं तो ये सब किसने करने को कहा।

भंडारी ने सीएम को लिखा पत्र

सुपारस भंडारी ने सीएम (CM Ashok Gehlot) को भेजे लेटर में लिखा- ‘मुझे फोन पर बताया गया कि जोधपुर जिले की बीस सूत्री कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए एक कमेठी गठित की है। इसमें सलीम भाई के साथ मुझे भी 12वें नंबर पर सदस्य मनोनीत किया है। ऐसा लगता है आपसे चर्चा करके यह लिस्ट नहीं बनाई गई है। इस नियुक्ति से मुझे बहुत आघात पहुंचा है। आप ऐसा क्यों करेंगे, मैं आज भी यही मानता हूं कि मुझे नीचा दिखाने के लिए यह किसी नादान की करतूत है। आप तो हमेशा मेरा दर्जा बढ़ाने में थे।’

मैंने चेयरमैन पद नहीं लिया था

भंडारी ने लिखा- ‘यहां तक कि इस बार वाले कार्यकाल में भी आपने तो मुझे एक कमेटी का चेयरमैन बनाने का ऑफर दिया। उसे भी मैंने ही राजनीतिक हित में ना मानकर बाहर से ही उस विषय में जो मदद कर सकता था की। उसके बाद आप कुछ नहीं दे पाए, उसका मुझे कोई रंज नहीं है। तो ऐसा क्यों हुआ? आप तुरंत आदेश में से मेरे नाम को हटाने का आदेश दें।’

‘मैंने कभी किसी का बुरा नही सोचा’

भंडारी ने सीएम को लिखा- आप आकलन कीजिए आपके इर्द-गिर्द कौन ऐसे लोग हैं, क्योंकि मैंने तो जीवन में जान बूझकर कभी किसी का बुरा करना तो दूर सोचा भी नहीं। ऐसे लोगों के मंसूबों को नेस्तनाबूद करने के लिए यह संदेश, मैं खुद वायरल कर रहा हूं। ताकि लोगों को पता लगे कि आपने मेरे लिए क्या नहीं किया। अन्यथा मेरे प्रति तो हमदर्दी बढ़ेगी। आपके प्रति लोग मेरा उदाहरण देकर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे। जो आज भी लगाते हैं।

‘मैंने एमपी का टिकट भी नही लिया’

भंडारी ने कहा- ‘साल 2004 में आपने मेरा पाली से एमपी का टिकट फाइनल किया, इसके बावजूद मैंने मना किया। फिर 2010 में जोधपुर से मेयर के सीधे चुनाव में आपने मुझे उम्मीदवार बनाने को कहा तो मैंने पार्टी और आपके हित में रामेश्वर दाधीच को उम्मीदवार बनाने की पैरवी की।

आपने मुझे मेला प्राधिकरण का चेयरमैन बनाकर मंत्री पद से नवाजने की मंजूरी दी और मैंने ही एक बात आपको बताई कि मेलों-खेलों में कितनी भी बेहतरीन व्यवस्था क्यों ना हो, हादसों से नहीं बचा जा सकता है। जोधपुर किले पर हादसे ने हमें हिला दिया था। अगर मैं चेयरमैन बनूंगा तो सीधी गाज आप पर गिरेगी। तब आपने कहा यह तो मुझे किसी ने नहीं बताया और मैंने ही कहा आप किसी और को बना दें, आप खूब जानते हैं कि मैंने कभी पद की लालसा-लालच नहीं रखी।’

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