Jaipur: राजेश पायलट ने दबाव के आगे झुके बिना चंद्रास्वामी को भेजा था जेल भेजा, जानें इस कांग्रेसी नेता की कहानी
Jaipur: देश के किसानों के कद्दावर अगुआ रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश पायलट की आज पुण्यतिथि है. वायुसेना में भी रहे राजेश पायलट के सियासी सफर के कई किस्से चर्चित है. राजेश पायलट ने कांग्रेस में रहते हुए कहा था कि पार्टी में जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं रही है. कुर्सी को सलामी दी जाने लगी है. इतना ही नहीं ऐसे कई मौके आए जब राजेश पायलट ने पार्टी को सार्वजनिक तौर पर नसीहत दी थी. उन्होंने एक बार सीधे गांधी परिवार को चुनौती दे दी थी, लेकिन ‘बगावत’ के बावजूद वे राजनीति में एंट्री से लेकर अपनी अंतिम सांस तक वह कांग्रेसी ही बने रहे.
आज के दौर में हम कांग्रेस में जिस तरह के खोखले जी-23 ग्रुप को देख रहे हैं, राजेश पायलट ने इससे आगे बढ़कर कांग्रेस में रहकर ही बगावत की थी. राजीव गांधी के मित्र रहे राजेश, गांधी की मौत के बाद बिखर रही कांग्रेस को एकजुट कर आगे ले जाना चाहते थे.
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राजेश्वर प्रसाद से राजेश पायलट तक का सफर
वो बचपन से ही कुछ जुनूनी करना चाहते थे. किशोरवय में पायलट बनने की ठानी, तब ग्रामीण क्षेत्रों में यह बड़ी बात हुआ करती थी. जून 1964 में ही राजेश्वर प्रसाद ने कोयम्बटूर स्थित एयरफोर्स अकादमी में पायलट पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था. अक्टूबर 29, 1966 को उनकी नियुक्ति फ्लाइंग ब्रांच में हुई. वहां उन्होंने 13 वर्षों तक ‘ट्रांसपोर्ट एंड फाइटर स्क्वाड्रन’ में काम किया. तब भी वो राजेश्वर प्रसाद ही थे, लेकिन नवम्बर 1979 में जैसे ही उन्होंने सरकारी सेवा को अलविदा कह राजनीति में क़दम रखा, वो राजेश पायलट बन गए. उस समय पायलट होना आज की तुलना में ज्यादा दुर्लभ था और अधिक सम्मान की भी बात थी. यही कारण था कि जब वो 1980 में भरतपुर से पर्चा दाखिल कर रहे थे, तब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनसे अपने नाम के आगे ‘पायलट’ लिखने का आग्रह किया और उन्होंने पहला ही चुनाव जीत लिया.