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America के कॉलेजों में अब नस्ल के आधार पर नहीं होंगे दाखिले, भारतीय मूल की अमेरिकी महिला ने SC के फैसले को बताया ऐतिहासिक

न्यूयार्क: अमेरिका (America) के कालेजों और विश्वविद्यालयों में एशियाई लोगों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली भारतीय मूल की अमेरिकी महिला ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। मंगा अनंतमुला ने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला सभी जातियों की समानता ( Ban on Race based Admission in America) के मूल सिद्धांत की पुष्टि करता है।

नस्ल के आधर पर दाखिले पर रोक

अमेरिकी (America) सुप्रीम कोर्ट ने कालेजों और विश्वविद्यालयों में नस्ल के आधार पर दाखिले पर रोक लगा दी है। मंगा अनंतमुला एशियाई लोगों के साथ भेदभाव के खिलाफ मुकदमे में 2015 से स्टूडेंट्स फार फेयर एडमिशन (एसएफएफए) के एडवर्ड ब्लम और एशियन अमेरिकन कोएलिशन फार एजुकेशन (एएसीई) के बोर्ड सदस्य के रूप में मजबूती से खड़ी थीं।

फैसले को बताया ऐतिहासिक

अनंतमुला (America) ने एशियाई छात्रों को न्याय दिलाने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय और उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय की भेदभावपूर्ण नीतियों को शिक्षा विभाग और ट्रंप प्रशासन के समक्ष पेश करने वाले भारतीय समुदाय का लगातार प्रतिनिधित्व किया। अनंतमुला ने ब्लम और युकोंग झाओ को 2015 में इस प्रयास में शामिल करने के लिए धन्यवाद दिया। कहा कि यह एशियाई लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने के लिए मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसके कारण प्रवेश प्रक्रिया में पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ यह ऐतिहासिक फैसला आया। अनंतमुला एक रिपब्लिकन हैं और वर्जीनिया से 2020 में अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ चुकी हैं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से भारतीयों समेत एशियाई मूल के विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

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