Jammu And Kashmir: ‘कब्र की शांति और गुलाम की चुप्पी का जश्न नहीं बनता’, महबूबा की नजरबंदी पर चिदंबरम का केंद्र पर निशाना
New Delhi: जम्मू एवं कश्मीर (Jammu And Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के घर में नजरबंद करने के दावे पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का बयान आया है। महबूबा की नजरबंदी पर कांग्रेस नेता ने केंद्र की भाजपा सरकार पर कटाक्ष किया है।
केंद्र सरकार पर हमला
चिदंबरम ने एक ट्वीट में सरकार पर हमला करते हुए जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की चौथी वर्षगांठ का जिक्र किया। उन्होंने कहा- “जम्मू-कश्मीर की सरकार और एलजी उस ‘शांति’ का जश्न मना रहे हैं जो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद राज्य (अब यूटी) में आई है। मैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की बात को याद कर कहना चाहता हूं जिन्होंने कब्र की शांति और गुलाम की चुप्पी के खिलाफ चेतावनी दी थी।”
सरकार से पूछे कड़े सवाल
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर (Jammu And Kashmir) में इतनी ही शांति है, तो सरकार ने महबूबा मुफ्ती को घर में नजरबंद क्यों कर दिया है और पीडीपी और एनसी (नेशनल कॉन्फ्रेंस) के कार्यालयों को सील क्यों कर दिया है?
महबूबा ने ट्वीट कर लगाए आरोप
चिदंबरम ने कहा कि पूरे भारत में स्वतंत्रता का दमन किया जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसे सबसे गंभीर रूप से दबाया जाता है। शनिवार को मुफ्ती ने कई ट्वीट करते हुए लिखा था कि मुझे आज अन्य वरिष्ठ पीडीपी नेताओं के साथ नजरबंद कर दिया गया है। यह आधी रात की कार्रवाई के बाद हुआ है, जहां मेरी पार्टी के कई लोगों को पुलिस स्टेशनों में अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है। सरकार पर हमला करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सामान्य स्थिति के बारे में भारत सरकार के झूठे दावे उनके व्यामोह से प्रेरित कार्यों से उजागर हो गए हैं।
उप राज्यपाल बोले- धारा 370 हटने से कश्मीर का हुआ विकास
दूसरी ओर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के चौथे वर्ष के पूरा होने पर, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलगाववाद और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने वाली भेदभावपूर्ण व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि पीएम ने जम्मू-कश्मीर के गौरवशाली भविष्य के लिए निरंतर शांति, सम्मान, सुरक्षा, नई आकांक्षाओं और नए संकल्पों के लिए संसाधनों तक समान पहुंच की शुरुआत की।