Rajasthan Cabinet: मंत्रिमंडल तो बन गया लेकिन अब तक विभागों नहीं हुआ बंटावारा, जानें आखिर देरी की क्या है वजह
Jaipur: आगामी लोकसभा चुनावों के सेमीफाइनल यानी (Rajasthan Cabinet) राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों को भारतीय जनता पार्टी ने भले ही जीत लिया हो, लेकिन पार्टी अभी भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को मंत्री और मंत्रियों को उनके विभाग मिल चुके हैं, लेकिन राजस्थान को सिर्फ मंत्री ही मिले हैं, मंत्रियों को उनके विभाग नहीं। राजस्थान में बीजेपी को बंपर जीत मिले महीने भर का समय बीत गया है। इस जीत के बाद अव्वल तो राज्य को मुख्यमंत्री मिलने में देरी हुई। मुख्यमंत्री मिला तो कैबिनेट विस्तार में समय लगा। चुनाव जीतने के 27 दिन बाद आखिरकार राजस्थान को मंत्री मिल गए तो अब वो मंत्री विभागों के इंतजार में बैठे हैं।
इन विधायकों को मिला मंत्री पद
किरोड़ीलाल मीणा, गजेंद्र सिंह खींवसर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबूलाल खराड़ी, मदन दिलावर, जोगाराम पटेल, सुरेश सिंह रावत, अविनाश गहलोत, जोराराम कुमावत, हेमंत मीणा, कन्हैयालाल चौधरी, सुमित गोदारा को राजस्थान की नई भजनलाल शर्मा सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिला है। वहीं संजय शर्मा, गौतम कुमार दक, झाबर सिंह खर्रा, हीरा लाल नागर, सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।
सुरेंद्र पाल सिंह अभी नहीं बने हैं विधायक
यहां बता दें कि सुरेंद्र पाल सिंह टीटी अभी विधायक (Rajasthan Cabinet) नहीं बने हैं और वो 5 जनवरी को होने वाले करणपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार हैं। बीजेपी ने उन्हें राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया है और इसको लेकर राज्य में बयानबाजी का दौर जारी है। वहीं पांच विधायकों को बीजेपी सरकार में राज्य मंत्री का पद दिया गया है। उनमें ओटाराम देवासी, मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, केके बिश्नोई और जवाहर सिंह बेड़म का नाम शामिल हैं।
आखिर विभाग बंटवारे में क्यों हो रही देर?
विभाग बंटवारे में देरी की सबसे पहली वजह राजनीति के जानकारों के मुताबिक मानें तो दिल्ली के कारण हो रही है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के पहले ही बीजेपी ने ऐलान कर दिया था कि वो बिना मुख्यमंत्री पद के दावेदार के चुनाव में उतरेंगे और ये चुनाव पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशन में लड़ा जाएगा। यानी चुनाव की शुरुआत से ही हर फैसला दिल्ली में लिया जा रहा था। चुनावी नतीजों के बाद पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला भी दिल्ली से लिया गया और मंत्रियों के नाम के ऐलान का भी। अब उन मंत्रियों को कौन सा विभाग मिलेगा इसका फैसला भी दिल्ली में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।
भजनलाल कैबिनेट में 17 नए विधायकों को जगह
मुख्यमंत्री भजनलाल की मंत्रिपरिषद में 17 नए विधायकों को जगह मिली है और कई दिग्गज नेताओं के मंत्रिपद का बर्थ कैंसल हुआ है। यानी ये तय है कि जो पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहेगा वो ही होगा। हालांकि सियासी गलियारों में ये चर्चा भी है कि राज्य के कुछ बड़े मंत्रालयों को लेकर पेच फंसा हुआ है, जिसको लेकर दिल्ली में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व मंथन कर रहा है। जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री भजनलाल वित्त और गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं तो वहीं डिप्टी सीएम दिया कुमारी की भी इन विभागों पर नजर है। हालांकि इन दावों को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन माना यही जा रहा है कि ये मसला निपटने के तुरंत बाद पार्टी मंत्रियों को विभाग बांट देगी।
लोकसभा चुनाव पर नजर रख बीजेपी चल रही हर दांव
राजस्थान की सियासत पर नजर रखने वालों का कहना है कि बीजेपी के हर फैसले में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर छिपी कोई रणनीति दिखाई दे रही है। किसी दिग्गज को मुख्यमंत्री न बनाना, 33 साल बाद राज्य को ब्राह्मण मुख्यमंत्री देना, मुख्यमंत्री के साथ दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला और मंत्रिपद को लेकर जातिगत समीकरण साधना। ये सभी फैसले बताते हैं कि बीजेपी इन फैसलों के जरिए मिशन 2024 की रणनीति तैयार कर रही है।
जातिगत समीकरण के आधार पर कुछ ऐसी है भजनलाल कैबिनेट
भजनलाल शर्मा की टीम में चार जाट, तीन राजपूत, दो ब्राह्मण, तीन-तीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के साथ-साथ गुर्जर, सिख, पटेल, माली, वैश्य, धाकड़, बिश्नोई, कुमावत और रावत समाज के एक-एक विधायको को जगह दी गई है। यानी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के पहले तमाम जातियों को महत्वपूर्ण पद देकर अपनी जीत के लिए समीकरण बैठाना चाहती है। बीजेपी का मकसद है कि उसके हर फैसले का फायदा बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में मिले। मालूम हो की राजस्थान बीजेपी का वो किला रहा है, जिससे बीजेपी को केंद्र की सत्ता में काबिज होने के लिए बंपर बल मिलता है।
फिर एक बार राजस्थान में क्लीन स्वीप की तैयारी में बीजेपी!
नरेंद्र मोदी जब पहली बार 2014 में प्रधानमंत्री (Rajasthan Cabinet) बने तब राजस्थान ने सभी 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जीत दिलवाई थी। वहीं 2019 के चुनाव में राज्य की 25 में से 24 सीटों पर बीजेपी जीती थी। अब जब देश फिर एक बार लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है तो बीजेपी फिर एक बार राजस्थान में क्लीन स्वीप करते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी जीत पक्का करने के लिए आगे बढ़ना चाहती है। ऐसे में चुनावी जीत हासिल करने के बाद भी पार्टी राजस्थान में एक-एक कदम लंबे मंथन के बाद उठा रही है।